कांग्रेस ने काफी विलम्ब से यूपी पर फोकस किया है और बृजलाल खाबरी के स्थान पर अजय राय को यूपी कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया है। अजय राय की अपनी कुछ खूबियां हैं पहली तो यह कि प्रियंका और राहुल दोनों के काफी करीबी है और जमीनी नेता हैं कहा जाता है कि वाराणसी के पिंडरा विधान सभा के हर घर के लोगों को वह व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और अपनी बातों को बेलौस और मुखर होकर कहते हैं संगठन की बारीकियों को भी अच्छे से जानते हैं और कर्नाटक के शिव कुमार की ही तरह अच्छे मैनेजमेंट जानते हैं और कांग्रेस आलाकमान से अपनी बात मनवाने की कूबत भी रखते हैं अभी हाल में ही उन्होने यह रहस्योद्घाटन किया था किसी एक दल की तरफ से उन्हे यह आफर आया था कि यदि वह कांग्रेस छोड़कर हमारे दल में आ जायं तो आपको न केवल बडा़ ओहदा मिलेगा सारी सुविधा भी मिलेगी, उन्होने दल का नाम नहीं बताया।ये पहले 1996 से लेकर 2009 तक भाजपा से कोल असला विधान सभा क्षेत्र के विधायक रहे अजय राय ने नाराज होकर दिग्विजय सिंह के सम्पर्क में आकर कांग्रेस से 2012 में पिंडरा से पांचवी बार विधायक बने।मुख्तार अंसारी के कट्टर दुश्मन रहे अजय राय ने अवधेश राय हत्याकांड में पैरवी कर मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा दिलवाई।यूपी अध्यक्ष बनने के बाद उन्होने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज सभीवर्ग के लोग महंगाई और साम्प्रदायिकता के मुददे और संविधान के साथ खिलवाड़ से सभी वर्ग के लोग भाजपा सरकार से त्रस्त हैं समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल के सवाल पर उन्होने कहा यह सब शीर्ष नेताओं पर निर्भर है मुझे यूपी अध्यक्ष बनाकर पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा दिया गया है मैं अपनी पूरी शक्ति से पार्टी को मजबूत करने का कार्य करूंगा।2015 में सपा शासन में प्रतिकार यात्रा में हुई तोड़फोड़ के कारण इन्हे सात माह से अधिक समय तक जेल में भी रहना पडा़ था। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हे टिकट नदेकर मुरली मनोहर जोशी को टिकट दिया गया था इन्होने सपा के टिकट पर चुनाव लडा़ और हारे बाद में उपचुनाव में निर्दलिय लड़कर चुनाव जीता था
भाजपा में ही थे।2009 के चुनाव में किसी अन्य को टिकट देने से नाराज हो कांग्रेस का दामन थाम लिया था । दो बार 2014 और 2019 में प्रधानमंत्री मोदी जी के खिलाफ चुनाव लडे़ और दोनों बार हार गये । अब मुख्य बात ये है कि यूपी में कांग्रेस की दशा काफी खराब है मात्र रायबरेली से सोनियांगांधी सांसद हैं और दो विधायक हैं।ऐसे में अजय राय क्या कर पायेंगे यह देखना महत्वपूर्ण होगा।अजय राय के सामने दर्जन भर धडे़ में बंटी कांग्रेस के नेताओं को एकजुट करना सबसे बडी़ प्राथमिकता हैफिर अपना संगठन खडा़ करना मुख्य है। पिछले एक दशक से पूर्वांचल में हार के बाद भी पार्टी का मुख्य चेहरा बने हुए हैं अब कांग्रेस यूपी के प्रभारी का भी फैसला सम्भवतः एक दो दिनों में कर लेगी,जो अजय राय की पसंद का ही होगा। एक-से डेढ माह में ही संगठन अजय राय को कांग्रेस का खडा़ करना होगा और यह भी तय है कि अजय राय कोसंगठन खडा़ करने की खुली छूट आला कमान से अवश्य मिली होगी और यह भी तय है कि लोकसभा चुनाव के बाद यूपी के आगामी विधान सभा चुनावों।तक तोअजय राय ही यूपी कांग्रेस के मुखिया होंगे। – सम्पादकीय-News51.in